ब्लॉक अकोला के गांव पिनानी में अंतिम संस्कार के लिए नहीं है शमशान

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By Sanjay

*पिनानी में अंतिम संस्कार के लिए नहीं है शमशान घाट!**ग्रामीण अपनी निजी जगह में अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं!**मलपुरा!*

अंतिम संस्कार

अकोला की ग्राम पंचायत रामनगर के मजरा पिनानी में अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट नहीं है। शमशान घाट नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव की आबादी करीब 700 है। पिनानी के ग्रामीण कई वर्षों शमशान घाट बनवाने के लिए प्रयासरत हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव की बसावट हुई है, तभी से शमसान घाट की समस्या बनी हुई है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण अपनी निजी भूमि पर अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। श्मशान घाट नहीं होने के कारण गांव में किसी की मृत्यु होने पर खेतों में अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। मृत्यु होने पर परिजन शोक में डूबे रहते हैं, जबकि ग्रामीणों को उसके अंतिम संस्कार की फ्रिक रहती है कि बारिश के मौसम में कैसे अंतिम संस्कार होगा। समस्या के निराकरण के लिए दर्जनों बार प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से शिकायत की जा चुकी है। लेकिन इसके बाद भी हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि आज तक ना तो पंचायत, ना तहसील और ना ही जिला स्तर के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान दिया है। जिसके कारण यहां के आदिवासी परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महेन्द्र सिंह, सोबरन सिंह, देवी सिंह, गंगाराम, रामगोपाल, जवाहर सिंह, वीरी सिंह, सुरेश कुमार, पीतम सिंह आदि ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से गांव में अंत्येष्टि स्थल बनाने की मांग की है।

_____________________बारिश के मौसम में होती है अधिक परेशानी: ग्रामीणों ने बताया है कि बारिश के मौसम में अंतिम संस्कार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर बारिश हो रही है तो पहले बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ता है। बारिश के मौसम में अंतिम संस्कार करने जाने से पहले 4 खंबे और तिरपाल लेके जाना पड़ता है। अंतिम संस्कार के दौरान बारिश होती है, तो तिरपाल को तंबू बनाकर लगाना पड़ता है।

___________________अंतिम संस्कार से पहले काटना पड़ती है फसल: अंतिम संस्कार के लिए न तो श्मशान घाट है। और ना ही शासकीय भूमि स्वीकृत है। इस कारण गांव में किसी की मृत्यु होने पर खेत में संस्कार करना पड़ता है। इससे पहले खेत में खड़ी फसल को काटकर जगह बनाई जाती है। उसके बाद अंतिम संस्कार किया जाता है।____________________

ये है रास्ता: कुछ लोगों का कहना है कि गांव में 16 विस्वा जमीन पीले खराने के नाम से दर्ज है। जिस पर प्रशासन को संज्ञान लेकर शमशान घाट के नाम से करना चाहिए। जिस पर शमशान घाट बनाया जा सके।___________________पिनानी में शमशान घाट का मामला संज्ञान में आया है। लेखपाल को बुलाकर ग्राम पंचायत की जमीन में से शमशान घाट के लिए जमीन की पैमाईश करवाई जाएगी। उसके बाद बजट बनाकर शमशान घाट का निर्माण करवाया जायेगा। -वीरेंद्र सिंह, विकास खंड अधिकारी अकोला__________

ग्रामीणों को बिना शमशान घाट के काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को जल्द रूप रेखा तैयार कर शमशान घाट के लिए जमीन उपलब्ध करानी चाहिए।महिंद्र सिंह, निवासी पिनानी_____ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से शमशान घाट बनवाने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। ग्रामीण कई वर्षों से इसके लिए प्रयासरत हैं।

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संजय कुमार प्रजापति srnewslive.com के प्रधान संपादक और सीईओ हैं। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की है और ब्लॉगिंग और Youtube 4+ वर्षों का अनुभव है। कई सारे Youtube और ब्लॉग्स के साथ काम कर चुके है.

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